काली माता का वाहन क्या है जानिए पूरी विस्तार से

bholanath biswas
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Kali Mata


 काली माता किस वाहन से सवार करते हैं  और उनकी वाहन कौन है जानने के लिए हमारे साथ बने रहिए मित्र नमस्कार हमारे वेबसाइट में आपका स्वागत है । 

हिंदू शास्त्र में लगभग सभी अलग-अलग देवताओं के अलग-अलग वाहन होते हैं परंतु काली माता के वाहन क्या है यह तो किसी को ज्ञात नहीं है लेकिन आज हम आपको बताएंगे कि काली माता के वाहन क्या है ।

जितने भी देवी देवताओं के वाहन है आपने शक्ति का प्रतीक है । अपने शत्रु की संघार करने हेतु उन वाहनों के सहायता से सकारात्मक ऊर्जा जन्म लेते हैं जिससे अधर्म को नष्ट करने में सक्षम होते हैं । 


चलिए जानते हैं माता किस रूप में कौन से वाहन में सवार करते हैं ।


दक्ष प्रजापति की पुत्री सती ने अपने पति शिव का अपमान होने पर यज्ञाग्नि में ही आत्म-दाह कर लिया था। उन्होंने अगला जन्म, शैलराज हिमालय के घर में लिया इसलिए उनका नाम शैलपुत्री पड़ा और इस रूप में अपना वाहन वृषभ रखा था ।

वाहन- वृषभ एक दृढ़ता का प्रतीक है, जिसके बल पर व्यक्ति पर्वत जैसी कठिनाई को भी पार कर सकता है।


देवी ने भगवान शिव को पुन: पति रूप में प्राप्त करने के लिए हजारों वर्षतक बेल-पत्र और फिर निर्जल व निराहार रहकर घोर तपस्या की जिसके कारण गौरी माता के नाम और समय ‘ब्रह्मचारिणी’ नाम मिला।

माता की इस रूप में वाहन की कोई आवश्यकता नहीं पड़ी ।

जगत जननी गौरी माता के इस तीसरे स्वरूप में देवी के मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र है इसलिए माता का नाम चंद्रघंटा है। इस घंटे की भयानक ध्वनि से दैत्य , भूत, पिचास भी कांप उठते हैं ।


चंद्रघंटा माता ने अपने वाहन- सिंह पर सवार होते हैं ।

यह अत्यंत शक्तिशाली पशु है। यह साधक को निर्भीकता एवं शक्ति के विकासकरने का पालन करते हैं ।

गौरी देवी के इस स्वरूप को कुम्हड़ा (कद्दू) पसंद है इसलिए इनका नाम कूष्मांडा है। कुम्हड़ा माता ने सूर्यलोक में वास करते हैं और यह अष्टभुजाधारी हैं जिनमें यह क्रमश: कमण्डल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृत-कलश, चक्र, गदा और जप-माला माता हमेशा धारण करती है ।

माता कूष्मांडा देवी भी सिंह पर सवार करते हैं । इस माता की स्वरूप को पूजा करने से भक्तों की कष्ट दूर होता है एवं आयु लंबी होती है ।


भगवान स्कंद जिसे हम सभी भगवान (कार्तिकेय) नाम से जानते हैं उनके माता होने के कारण माता गौरी देवी को स्कंदमाता कहा जाता है। यह कमल-पुष्प पर विराजती हैं इसलिए पद्मासना भी कहलाती है । इस माता का भी वाहन सिंह है अपने भक्तों को दर्शन देने हेतु हमेशा इस पर ही सवार होते हैं ।

 


धर्म कथा के अनुसार महर्षि कात्यायन ने तपस्या द्वारा मां भगवती को प्रसन्न किया जिसके फलस्वरूप, देवी ने महर्षि के घर कात्यायनी रूप में जन्म लिया इस माता का भी वाहन सिंह है ।

देवी माता ने कठिन परिस्थितियों और काल से रक्षा के कारण माता के नाम कालरात्रि पड़ा । इसलिए हर किसी को इनकी उपासना से सिद्धियां प्राप्त होती हैं तथा आसुरी शक्तियों का नाश होता है दत्ता भी उनसे भयभीत रहते हैं । माता ने अपने भक्तों को शुभ फल प्रदान करते हैं इस कारण इन्हें शुभंकरी भी कहते हैं।

इस माता का वाहन- गर्दभ

यह मनुष्य को सहनशील रहने और सुख-दुख में श्रम करने की प्रेरणा देता है।

गौरी माता के यह स्वरूप जंगल में रहने वाले पशुओं की देवी हैं। माता की घुंघरू तो नजर नहीं आती किंतु इनके घुंघरुओं का स्वर अवश्य सुनाई पड़ता है। अरण्यानीदेवी समस्त वन्य पशुओं का पालन-पोषण करती हैं। इस माता ने अपने वाहन अश्व से सवार होते हैं ।

वाहन- अश्व

वन में सबसे परिश्रमी और फुर्तीला होने के साथ अधिक सजग रहने का सभी को संदेश देता है।

भगवान शिव को प्राप्ति हेतु कठोर तप से शिव प्रसन्न हुए पर इनका शरीर काला पड़ गया। गंगा में स्नान करने से इनका तन फिर से गौर वर्ण हो गया और उस दिन से महागौरी के नाम से जाना जाता है। सफेद आभूषण व वस्त्रों के कारण श्वेतांबरधरा नाम भी कहलाती हैं।

इस माता के वाहन- वृषभ है ।इसकी शांत, स्थिर और दृढ़ मुद्रा दर्शाती है । और श्रद्धा, श्रेष्ठ संकल्पशक्ति, स्थिर चित्त, और शांत स्वभाव द्वारा अमोघ शक्ति फल भी प्राप्त किए जा सकते हैं।


हिंदू धर्म में गंगा नदी को मां माना जाता है यह तो आप जानते ही हैं। इस गंगा जल में स्नान करने से पूर्व संचित पाप का विनाश होता है । और जीवन-मरण के चक्र से मुक्ति मिल सकती है । इसी उद्देश्य से लोग इस गंगाजल में अपने परिजनों की अस्थियों का विसर्जन भी करते हैं।


इस माता का वाहन- मकर हैं । प्रत्येक व्यक्ति को धैर्यपूर्वक लक्ष्य की ओर बढ़ने तथा जीवन की समस्याओं को अपनी प्रचंड शक्ति से दूर करने की प्रेरणा देता है।


भगवान शिव ने गौरी माता से सिद्धियां प्राप्त की और इन्हीं की कृपा से शिव का आधा शरीर नारी का हुआ जिस कारण ‘अर्धनारीश्वर’ नाम से जाना जाता है ।भगवान अर्धनारीश्वर का वाहन- सिंह है । 


गौरी माता की देवी काली का एक स्वरूप है। यह अपने दयालु रूप में उमा, गौरी, पार्वती और भवानी कहलाती हैं और इन्हें उग्र रूप में दुर्गा, काली और भैरवी के नाम से भी जाना जाता है।

काली माता के वाहन-सिंह हैं साहसपूर्वक अपने परिवार व समुदाय की रक्षा करने में सक्षम है । जंगल का राजा होने के नाते शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने की हिम्मत एवं प्रेरणा देता है। 


मां दुर्गा ने एक बार कौशिकी नाम से अवतार लिया था।  युद्ध करने चण्ड - मुण्ड नामक दो असुर आए कौशिकी माता से । तब देवी ने काली का रूप धारण करके दोनों असुरों का संहार कर दिया उसके बाद इनका नाम चामुण्डा पड़ गया।

चामुंडा माता की वाहन- प्रेत (शव)

यह वृद्धावस्था और मृत्यु का प्रतीक है दर्शाता है माता के इस स्वरूप का पूजा करने से भक्तों की रक्षा करते हैं ।

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