कबीर जी का जन्म कब और कहां हुआ था ? जानिए विस्तार से

bholanath biswas
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कबीर जी का जन्म कब और कहां हुआ था जानिए विस्तार से

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जिस कबीरदास ने मानव कल्याण हेतु इतने सारे अमृतवाणी सुना कर गए हैं कि एक बार उनकी अमृतवाणी पढ़ने के बाद किसी का भी मन परिवर्तन होना ही है । जो मित्रों लंबे दिनों से कबीर दास जी के विषय में जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं आज उनका इंतजार समाप्त हुआ नमस्कार मित्रों हमारे वेबसाइट में आपका स्वागत है । जो कबीरदास जी के जो भक्त हैं उनके लिए यह पोस्ट बहुत ही महत्वपूर्ण है । क्योंकि हम जिसको महान समझते हैं उनके विषय में थोड़ा बहुत तो जानकारी होना ही चाहिए । 



वैसे तो संत कबीर दास ने अपने मन से अनगिनत अमृतवाणी उल्लेख करके गए हैं । कहा जाता है संत कबीर दास के अमृतवाणी एक बार पढ़ने के बाद लोगों के मन परिवर्तन हो जाता है । उनका विचारधारा यह था कि ईश्वर को कैसे प्राप्त किया जाए किस मार्ग पर चलने से ईश्वर को प्राप्त कर सकते हैं ।


चलिए सबसे पहले हम उनका कुछ वाणी जाने की प्रयास करते हैं ।


 ईश्वर को कैसे प्राप्त करें ? क्या हम मंदिर जाने से ईश्वर को प्राप्त कर सकते हैं ? 

 क्या हम मस्जिद जाकर ईश्वर को प्राप्त कर सकते हैं ?  यह सारे सवालों का जवाब संत कबीर दास ने अपने अमृतवाणी से उल्लेख कर दिया जिससे लोग पढ़ने के बाद अपने आपको अलग महसूस करते हैं । और किस मार्ग पर जाने से ईश्वर को प्राप्त कर सकते हैं ।


कबीर दास ने सर्वप्रथम मानव कल्याण के लिए यह बातें उल्लेख किया ।


 मनुष्य का सर्वप्रथम ईश्वर अपने माता-पिता को दिखाया है, जिससे लोग अपने माता पिता की सेवा करें ।


 कबीर दास का कहना है :- अगर कोई व्यक्ति अपने माता-पिता की सेवा न करके भगवान की और जाए तो उनका मनोकामना कभी पूरी नहीं हो सकता हैं । क्योंकि सर्वप्रथम इंसान का ईश्वर पने माता-पिता होता है । कोई भी संतान अगर माता-पिता का सेवा नहीं करेंगे तो भगवान भी उस व्यक्ति से कोई भी चीज ग्रहण नहीं करता है ।  इसलिए संत कबीर दास जी ने सर्वप्रथम यह कहां की है इंसान तुम पहले अपने ईश्वर को पहचानो कौन है तुम्हारा ईश्वर । अगर अपने माता-पिता ही दुख में रहेंगे तो तुम्हें कैसे प्राप्त होंगे ईश्वर ।


कबीर दास ने यह भी कहा है :- हे मनुष्य तुम पहले अपने आप को पहचानो तुम कौन हो ।  अगर तुम अपने आप को पहचान लिया तो दूसरों को भी पहचान सकते हो । 


कबीर दास की अमृतवाणी :- हे मनुष्य अगर आप अपने खुशी के लिए किसी और को दुख दे रहे हैं या सता रहे हो तो यह बात याद रखना इसका परिणाम बहुत ही भयंकर होता है और उस समय इंतजार करो उसका सजा जरूर मिलेगी । जब दंड मिलना शुरू हो जाता है तब आपको एहसास होता है कि मैं कितना बड़ा भूल कर दिया । हे मनुष्य उससे पहले आप क्यों नहीं सुधर जाते हो । 


संत कबीर दास ने विवेक से बात करते थे उनका एक एक शब्द जगत कल्याण के लिए ही उत्पन्न हुई है । अगर किसी व्यक्ति के मन में हिंसा का प्रभाव है तो ऐसे व्यक्ति को संत कबीर दास के अमृतवाणी पढ़ना चाहिए उनके मन बिल्कुल परिवर्तन हो जाएगा ।


कबीर साहेब जी का लगभग 14वीं 15वीं शताब्दी मध्यम जन्म स्थान काशी में है । कबीर साहेब का प्राकट्य सन 1398 (संवत 1455), में ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा को ब्रह्ममूहर्त के समय कमल के पुष्प पर हुआ था ।


 कबीर साहेब का जन्म माता पिता से नहीं हुआ बल्कि इतिहास के अनुसार वह हर युग में अपने निज धाम सतलोक से चलकर पृथ्वी पर अवतरित हुए थे । कबीर साहेब जी लीलामय शरीर में बालक रूप में नीरु और नीमा को काशी के लहरतारा तालाब में एक कमल के पुष्प के ऊपर प्राप्त हुई। काशी के नीरू और नीमा ने कबीर दास जी को बचपन से पालन पोषण किया । 


कबीर दास जी का जन्म और स्थान 


विक्रमी संवत १४५५ (सन १३९८ ई ० )

वाराणसी, (हाल में उत्तर प्रदेश, भारत)

मृत्यु

विक्रमी संवत १५५१ (सन १४९४ ई ० )

मगहर, (हाल में उत्तर प्रदेश, भारत)


संत कबीर दास जी को इस नाम से भी जाना जाता है

कबीरदास, कबीर परमेश्वर, कबीर साहेब ।

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