ईश्वर कहां है ? ईश्वर का स्वरूप, और कैसे करें दर्शन प्राप्त ? जानें

bholanath biswas
0


ईश्वर कहां है ?



ईश्वर कहां है ? ईश्वर का स्वरूप, और कैसे करें दर्शन प्राप्त ?

ईश्वर कहां है और उनकी दर्शन कैसे प्राप्त करें ?इन सारे सवालों का जवाब प्राप्त करने के लिए पूरे पोस्ट पढ़िए । नमस्कार दोस्तों हमारे वेबसाइट में आपका स्वागत है ।

 

इंसान के मन में कई प्रकार के सवालों की जन्म लेते हैं पर कुछ सवाल के जवाब मिल जाता है और कुछ सवालों के जवाब मिलना बहुत मुश्किल हो जाता हैं । लेकिन जब आप हमारे वेबसाइट में आए गए हैं तो विस्तार से बताएंगे ईश्वर कहां हैं कैसे प्राप्त किया जा सकता है नमस्कार मित्रों हमारे वेबसाइट में आपका स्वागत है  ।



 ईश्वर कहा रहते है इसका परिचय क्या है ?


 लोग मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा, चर्च, मठ,  ना जाने कहाँ-कहाँ ईश्वर को ढूंढते रहते है और इसमें किसी को ईश्वर मिल जाते हैं तो किसी को मिलते नहीं है । जो व्यक्ति ईश्वर की आभास को पहचान सकते हैं वह तो सदैव ईश्वर की कृपा प्राप्त करते रहते हैं और ऐसे सवालों के जवाब कभी भी वह ढूंढते नहीं है । परंतु जिनको ईश्वर की आभास मिलने पर भी समझ में नहीं आती है ऐसे व्यक्ति सवालों के जवाब ढूंढते रहते हैं । तो कोई बात नहीं चलिए हम बिस्तर से जानते हैं ईश्वर कहां और उनका दर्शन कैसे प्राप्त कर सकते हैं ।


ईश्वर हमारे भीतर ही मौजूद है - ये हम इस कहानी की मदद से जान सकते है।


एक बार शरीर के सभी इंद्रियों के बीच इस बात को लेकर लड़ाई छिड़ गई की हम में से सबसे बड़ा कौन है ?

 वाणी- कहने लगी मैं बड़ी हूँ, अगर में नहीं हुई तो कोई भी इंसान बोल नहीं पायेगा।


कान- कहने लगे में बड़ा हूँ, मैं नहीं हुआ तो कोई सुन नहीं पायेगा। आँखे कहने लगी मैं नहीं हुई तो कोई देख नहीं सकेगा। इसी तरह मन कहने लगी मैं नहीं हुआ तो किसी व्यक्ति को कुछ पता नहीं चलेगा।


प्राण- अपनी तारीफ में कहने लगा मैं नहीं रहा तो यह शरीर ही मृत हो जायेगा, इसलिए मैं ही सर्वश्रेष्ठ हूं ।


इस विवाद को बढ़ता देख सभी इन्द्रियों ने कहा क्यों ना हम इस सृष्टि के रचयिता ब्रह्माजी से ही जाकर पूछ ले कि हममें से सर्वश्रेष्ठ कौन है।


सभी इन्द्रियों ब्रह्मा के पास गई और इस समस्या का हल निकालने के लिए कहने लगी। ब्रह्मा बोले तुम में से जिसके चले जाने से शरीर बेजान यानि निष्क्रिय हो जाएगा समझ लेना वही तुममें से श्रेष्ठ है।


इन्द्रियों ने ऐसा ही किया, सबसे पहले वाणी शरीर से अलग हो गई, इससे व्यक्ति बोल नही पाया लेकिन शरीर को कोई प्रभाव नहीं पड़ा।


ऐसा ही आँखों ने भी किया, फिर कानों की बारी आई उनके जाने पर भी शरीर में कोई प्रभाव नहीं पड़ा। फिर मन ने भी शरीर छोड़ दिया हालाँकि इससे मानसिक विकार जरुर हुआ लेकिन शरीर वैसे ही चल रहा था।


उसके बाद प्राण के समय आया और प्राण ने कहा कि अब मेरी बारी है शरीर छोड़ने की तो सभी इन्द्रियों व्याकुल हो उठी।


उन्होंने अनुभव किया की प्राण निकल जाने पर हम सभी बेकार हो जाएंगे। इसलिए उन्होंने प्राण की श्रेष्ठता स्वीकार कर ली ।


यह प्राण शक्ति ही ईश्वर से मिलती है। शास्त्रों में परमात्मा को ही प्राण कहकर पुकारा है। अर्थात ईश्वर हमारे भीतर ही मौजूद है और हमारा जिंदा रहना ही परमात्मा की कृपा है और हमारे अंदर मौजूद होने का प्रमाण है।

भगवान श्री कृष्ण भागवत गीता में ही कहा कि मनुष्य धर्म के मार्ग पर चलेंगे तो किसी भी परिस्थिति पर आप ईश्वर को प्राप्त कर सकेंगे । क्योंकि ईश्वर हर कौन-कौन में रहता हैं पूरे ब्रह्मांड उन्हीं का है । धर्म और अधर्म क्या है इसे समझने के लिए आपको भागवत गीता पढ़नी चाहिए जिससे आप खुद समझ जाएंगे कि हमें किस मार्ग पर चलना चाहिए । दुनिया में कई प्रकार के अपने अपने मजहब बने हुए हैं । लोग ईश्वर का परिचय भी दिया हुआ है तो आप उनके परिचय संयम दे सकते हैं ‌‌। क्योंकि वह परमात्मा है एक शिला रख कर भी उन्हें स्मरण कर सकते हैं, क्योंकि परमात्मा कंकण में वास करता है । अगर आप परमात्मा के दर्शन करना चाहते हैं तो हिंदू शास्त्र के अनुसार किसी पवित्र स्थान में बैठकर एकांत में लगातार 🕉️ नमः शिवाय  मंत्र का जप करके ही  उनकी दर्शन प्राप्त कर सकते है । 

वर्तमान जो लोग ईश्वर की तलाश कर रहे हैं उनके लिए तो पहले से ही 4 वेद एवं 18 पुराण है जिसे पढ़ने के बाद आप समझ जाएंगे कि ईश्वर कहां रहते हैं, उसका असली परिचय क्या है, और उनकी दर्शन कैसे प्राप्त कर सकते हैं ।

धर्म शास्त्र के अनुसार छोटा सा बात आपको मैं बताने जा रहे हैं इस बात को हमेशा ध्यान में रखिए 👉 अगर आप ईश्वर को प्राप्त करना चाहते हैं और जानना चाहते हैं कि कहां हैं तो धर्म के मार्ग पर चले आपको ईश्वर के विषय में साफ साफ नजर आएगा । धन्यवाद 🙏

ब्रह्मांड का सृष्टि कब हुआ जानें विस्तार से

एक टिप्पणी भेजें

0टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें (0)

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!
10 Reply