गणेश भगवान के व्रत रखने वाले को क्या लाभ मिलती है आइए छोटा सा उल्लेख करते हैं । सबसे पहले हमारे वेबसाइट में आपका स्वागत है ।
गणेश का अर्थ होता है गणों का ईश और आदि का अर्थ होता है सबसे पुराना यानी सनातनी। वास्तव में सभी गणों के ईश कबीर साहेब जी है । इसलिए उन्हें आदि गणेश कहा जाता है। सम्पूर्ण संसार व सभी देवताओं की उत्पत्ति कबीर साहेब के द्वारा ही हुई है यानी वे सभी आत्माओं के जनक हैं।
पौराणिक कथाओं के अनुसार
शिवपुराण के अन्तर्गत रुद्रसंहिताके चतुर्थी खण्ड में यह वर्णन है कि माता पार्वती ने स्नान करने से पूर्व अपनी मैल से एक बालक को उत्पन्न करके उसे अपना द्वार पाल बना दिया। शिवजी ने जब प्रवेश करना चाहा तब बालक ने उन्हें रोक दिया। इस पर शिवगणोंने बालक से भयंकर युद्ध किया परंतु संग्राम में उसे कोई पराजित नहीं कर सका। अन्ततोगत्वा भगवान शंकर ने क्रोधित होकर अपने त्रिशूल से उस बालक का सर काट दिया। इससे भगवती शिवा क्रुद्ध हो उठीं और उन्होंने प्रलय करने की ठान ली। भयभीत देवताओं ने देवर्षिनारद की बोलने पर जगदम्बा की स्तुति करके उन्हें शांत किया था ।
देवों के देव महादेव ने भगवान विष्णुजी को कहां उत्तर दिशा में सबसे पहले मिले जीव के सिर काटकर ले आए अंत में भगवान विष्णु को हाथी का ही सिर मिला था। मृत्युंजय और रुद्र ने गज के उस मस्तक को बालक के धड पर रखकर उसे पुनर्जीवित कर दिया। माता पार्वती ने हर्षातिरेक से उस गज मुख बालक को अपने सीने से लगा लिया और देवताओं में अग्रणी होने का आशीर्वाद दिया था । ब्रह्मा, विष्णु, महेश ने उस बालक को सर्वाध्यक्ष घोषित करके अग्रपूज्यहोने का वरदान दिया। भगवान शंकर ने बालक से कहा-गिरिजानन्दन! सभी विघ्न नाश करने में तेरा नाम सर्वोपरि होगा। तू सबका पूज्य बनकर मेरे समस्त गणों का अध्यक्ष हो जा। गणेश्वर तू भाद्रपद मास के कृष्णपक्ष की चतुर्थी को चंद्रमा के उदित होने पर उत्पन्न हुआ है। इस तिथि में व्रत करने वाले के सभी संकट का नाश हो जाएगा और उसे सब सिद्धियां प्राप्त होंगी घर में कभी भी दरिद्रता नहीं आएगी।
जो भक्त व्रत रखने के बाद फल के लिए सोचते हैं उन्हें भगवान गणेश कभी निराश नहीं करते हैं उनकी झोली हमेशा भर देते हैं ।
कृष्णपक्ष की चतुर्थी की रात्रि में चंद्रोदय के समय गणेश तुम्हारी पूजा करने के पश्चात् व्रती चंद्रमा को अर्घ्य देकर ब्राह्मण को मिष्ठान खिलाए। तदोपरांत स्वयं भी मीठा भोजन करे। वर्ष पर्यन्त श्रीगणेश चतुर्थी का व्रत करने वाले की मनोकामना अवश्य पूर्ण होती है। घर में किसी भी प्रकार के घर के सदस्यों के विघ्नों नहीं होते हैं । और तो और आर्थिक व्यवस्था में भी सुधार होती हैं । मित्रों भगवान गणेश अपने भक्तों के सभी मनोकामना पूर्ण करने के लिए तत्पर रहते हैं बस उन्हें भक्ति और श्रद्धा के साथ व्रत करें ।
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