राम सेतु पुल फोटो >> राम सेतु पुल real photo
श्री राम पुरुषोत्तम राम जिसे हिंदुओं में भगवान मानते हैं पूजा करते हैं । वर्तमान आज के दौर में राजनीति के कारण क्या-क्या उनके विषय में बातें करते हैं सवाल करते हैं । भगवान के विषय में जानना सभी को जरूरी है परंतु भगवान के ऊपर सवाल करना उचित नहीं है । भगवान क्यों कहते हैं राम को और इसके पीछे वजह क्या है ? राम एक मानव थे परंतु धार्मिक ग्रंथ के अनुसार उन्हें भगवान के अवतार बताया गया है । जो काम इस धरती पर कोई ना कर सका वह काम श्रीराम करके दिखाया है । उस समय की बात है जब भगवान राम का नाम पत्थर में लिखने के बाद तो पानी में भी पत्थर तैरने लगता है राम का नाम में भी बहुत ही महिमा है जो आज भी इस नाम से लोग मोक्ष प्राप्त करते हैं । अगर कोई व्यक्ति श्रीराम पर कोई भी सवाल करते हैं तो उसका जवाब भी है । सबसे बड़ा सवाल का जवाब तो आप के सामने आज हम देने जा रहे हैं दोस्तों नमस्कार हमारे वेबसाइट में आपका स्वागत है ।
बहुत ऐसे राज नेता है जो कहते हैं रामायण एक काल्पनिक है, अगर रामायण काल्पनिक है तो यह जो रामसेतु हजारों साल पहले रामायण में उल्लेख किया बाल्मिकी मणि अपने हाथों से जबकि उसका प्रमाण हमारे हिंदुस्तान से लेकर श्रीलंका तक मिल गया है और वह प्रमाण कुछ और नहीं रामसेतु । क्या अब भी आप रामायण को काल्पनिक बताएंगे जहां रामसेतु आज भी मौजूद है । अगर आप देखना चाहते हैं उसका प्रमाण लेना चाहते हैं तो उस जगह पर जाएं और देखिए अभी भी उसका निशान है समुद्र के नीचे चला गया जहां मौसम के परिवर्तन के कारण । राम सेतु का निर्माण क्यों करना पड़ा तो चलिए इसके विषय में थोड़ा बहुत जान लेते हैं । महर्षि बाल्मीकि रामायण में वर्णन किया कि जब लंका के रावण सीता मैया को हरण किया था तो उससे छुड़ाने के लिए भगवान श्री राम सभी वानर सेना को लेकर राम सेतु का निर्माण किया । सीता को अगर रावण के हाथों से छुड़ाना ही है तो भयंकर युद्ध करना पड़ेगा जब तक रावण का वध नहीं होता तब तक सीता मैया को छुड़ाना नामुमकिन था इसलिए सभी वानर सेना को लंका में ले जाना पड़ा रामसेतु बनाकर ।
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हैरानी की बात तो यह है कि भारत से लेकर लंका तक समुद्र के ऊपर सेतू कैसे बनवाया । दोस्तों रामायण में यह भी उल्लेख है कि जब वानर राजा सुग्रीव सभी अपने वानर सेना को आदेश दिया की आप राम नाम लेते हैं तो अपने भीतर शक्ति उत्पन्न होती है यदि आप सभी पत्थर के ऊपर राम नाम लिखोगे तो हमें आशा है कि यह पत्थर भी पानी के ऊपर तैरने लगेंगे । भगवान श्री राम के प्रति भरोसा और अटूट विश्वास रखकर पत्थर में श्री राम का नाम लिखकर सेतु बनवाया था और यह बात आज भी कई लोग जानते हैं इसका प्रमाण भी बहुत लोगों को मिल भी गया है । रामसेतु बनवाने से पहले भगवान श्रीराम कई दिन तक उपवास रहा और भगवान समुद्र से अनुमति लिया । जिससे भगवान समुद्र देव भगवान राम की आदेश पालन किया और समुद्र बनाने की अनुमति भी दे दिया ।
बदलते समुद्र स्तर के कारण ये भी बताया गया है कि रामेश्वरम और तलैमन्नार, श्रीलंका के बीच के जमीन ७,००० से १८,००० वर्ष पहले शायद खुली थी। धनुषकोडी और रामसेतु के बीच के रेत की टीलों की आयु ६००-७०० साल पुरानी बताई जाती है।[7] तिरुचिरापल्ली स्थित भारतिदासन विश्वविद्यालय के २००३ के सर्वेक्षण के अनुसार रामसेतु की आयु सिर्फ ३,५०० साल है।
पूरे भारत, दक्षिण पूर्व एशिया और पूर्व एशिया के कई देशों में हर साल दशहरे पर और राम के जीवन पर आधारित सभी तरह के नृत्य-नाटकों में सेतु बंधन का वर्णन किया जाता है। राम के बनाए इस पुल का वर्णन रामायण में तो है ही, महाभारत में भी श्री राम के नल सेतु का उल्लेख आया है। कालीदास की रघुवंश में सेतु का वर्णन है। अनेक पुराणों में भी श्रीरामसेतु का विवरण आता है। एन्साइक्लोपीडिया ब्रिटेनिका मे राम सेतु कहा गया है। नासा और भारतीय सेटेलाइट से लिए गए चित्रों में धनुषकोडि से जाफना तक जो एक पतली सी द्वीपों की रेखा दिखती है, उसे ही आज रामसेतु के नाम से जाना जाता है। यह सेतु तब पांच दिनों में ही बन गया था। इसकी लंबाई १०० योजन व चौड़ाई १० योजन थी। इसे बनाने में रामायण काल में श्री राम नाम के साथ, उच्च तकनीक का प्रयोग किया गया था।