तुलसीदास की जीवन परिचय पूरी जानकारी के साथ

bholanath biswas
0



tulsi das


 तुलसीदास का पूरा नाम क्या है और उनका जन्म स्थान कहां है 


तुलसीदास का पूरा नाम क्या है और उनका जन्म स्थान कहां है विस्तार से जानने के लिए हमारे साथ बन रही है दोस्तों नमस्कार हमारे वेबसाइट पर आपका स्वागत है संत तुलसीदास एक महापुरुष थे जहां जगत का कल्याण के लिए अपने हाथों से भक्ति और निष्ठा से राम चरित्र पुस्तक लिखे थे । रामचरित्र मानस पुस्तक शुरू से लेकर अंत तक लिख तो दिया मगर जगत के सामने लाने में संत तुलसीदास को बहुत ही कठिनाई का सामना करना पड़ा । रामचरित्र मानस संपूर्ण लिखने के बाद जगत के सामने पेश करने के लिए स्वयं हनुमान भी साथ दिया था क्योंकि भगवान श्रीराम का ही कथा लिखी गई है जिससे मानव जाति का ही कल्याण होगा कुछ लोग ऐसे थे कि इस पुस्तक से नाराज । जो पुस्तक पहले महर्षि वाल्मीकि रामायण के महा ग्रंथ के रूप में पेश किए हैं उसे भला कैसे भूल जाए अगर कोई व्यक्ति संत तुलसीदास जी के राम चरित्र मानस महा ग्रंथ पढ़ ले तो रामायण पुस्तक पढ़ने की कोई आवश्यक नहीं होगा । यह बात कुछ लोगों के मन में या दिमाग में नहीं घुसे थे जिसके कारण रामचरित्र मानस महा ग्रंथ को सबके सामने पेश करने के लिए विरोध जताया था । जब श्री राम चरित्र मानस पुस्तक धीरे-धीरे लोग पढ़ने लगे तब संत तुलसीदास को भी जाने लगे और आज वर्तमान आप भी उनके बारे में जानने की प्रयास कर रहे हैं । दोस्तों बिल्कुल चिंता मत कीजिए जो भी आप जानकारी पाने के लिए आए हैं आपको सरलता से मिलेंगे बस हमारे साथ आप बने रहिए ।



गोस्वामी तुलसीदास (1511 - 1623) हिन्दी साहित्य के महान सन्त कवि थे। रामचरितमानस इनका गौरव ग्रन्थ है। इन्हें आदि काव्य रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि का अवतार भी माना जाता है।


श्रीरामचरितमानस का कथानक रामायण से लिया गया है। रामचरितमानस लोक ग्रन्थ है और इसे उत्तर भारत में बड़े भक्तिभाव से पढ़ा जाता है। इसके बाद विनय पत्रिका उनका एक अन्य महत्त्वपूर्ण काव्य है। महाकाव्य श्रीरामचरितमानस को विश्व के 100 सर्वश्रेष्ठ लोकप्रिय काव्यों में 46वाँ स्थान दिया गया। तुलसीदास जी रामानंदी के बैरागी साधु थे।[2]गोस्वामी तुलसीदास का जन्म स्थान विवादित है। कुछ लोग मानते हैं की इनका जन्म सोरों शूकरक्षेत्र, वर्तमान में कासगंज (एटा) उत्तर प्रदेश में हुआ था।[3] कुछ विद्वान् इनका जन्म राजापुर जिला बाँदा (वर्तमान में चित्रकूट) में हुआ मानते हैं। जबकि कुछ विद्वान तुलसीदास का जन्म स्थान राजापुर को मानने के पक्ष में हैं।


राजापुर उत्तर प्रदेश के चित्रकूट जिला के अंतर्गत स्थित एक गाँव है। वहाँ आत्माराम दुबे नाम के एक प्रतिष्ठित संध्या नंददास भक्तिकाल में पुष्टिमार्गीय अष्टछाप के कवि नंददास जी का जन्म जनपद- कासगंज के सोरों शूकरक्षेत्र अन्तर्वेदी रामपुर (वर्त्तमान- श्यामपुर) गाँव निवासी भरद्वाज गोत्रीय सनाढ्य ब्राह्मण पं० सच्चिदानंद शुक्ल के पुत्र पं० जीवाराम शुक्ल की पत्नी चंपा के गर्भ से सम्वत्- 1572 विक्रमी में हुआ था। पं० सच्चिदानंद के दो पुत्र थे, पं० आत्माराम शुक्ल और पं० जीवाराम शुक्ल। पं० आत्माराम शुक्ल एवं हुलसी के पुत्र का नाम महाकवि गोस्वामी तुलसीदास था, जिन्होंने श्रीरामचरितमानस महाग्रंथ की रचना की थी। नंददास जी के छोटे भाई का नाम चँदहास था। नंददास जी, तुलसीदास जी के सगे चचेरे भाई थे। नंददास जी के पुत्र का नाम कृष्णदास था। नंददास ने कई रचनाएँ- रसमंजरी, अनेकार्थमंजरी, भागवत्-दशम स्कंध, श्याम सगाई, गोवर्द्धन लीला, सुदामा चरित, विरहमंजरी, रूप मंजरी, रुक्मिणी मंगल, रासपंचाध्यायी, भँवर गीत, सिद्धांत पंचाध्यायी, नंददास पदावली हैं। ब्राह्मण रहते थे। उनकी धर्मपत्नी का नाम हुलसी था। संवत्1511के श्रावण मास के शुक्लपक्ष की सप्तमी तिथि के दिन अभुक्त मूल नक्षत्र में इन्हीं दम्पति के यहाँ तुलसीदास का जन्म हुआ। प्रचलित जनश्रुति के अनुसार शिशु बारह महीने तक माँ के गर्भ में रहने के कारण अत्यधिक हृष्ट पुष्ट था और उसके मुख में दाँत दिखायी दे रहे थे। जन्म लेने के साथ ही उसने राम नाम का उच्चारण किया जिससे उसका नाम रामबोला पड़ गया। उनके जन्म के दूसरे ही दिन माँ का निधन हो गया। पिता ने किसी और अनिष्ट से बचने के लिये बालक को चुनियाँ नाम की एक दासी को सौंप दिया और स्वयं विरक्त हो गये। जब रामबोला साढे पाँच वर्ष का हुआ तो चुनियाँ भी नहीं रही। वह गली-गली भटकता हुआ अनाथों की तरह जीवन जीने को विवश हो गया।


तुलसीदास का पूरा नाम क्या है दोस्तों बता देना चाहते हैं संत तुलसीदास का पूरा नाम गोस्वामी तुलसीदास के नाम से जाना जाता है और उच्च ब्राह्मण जाति के हैं ।


प्राचीन इतिहास इन हिंदी 

प्राचीन इतिहास कब से कब तक है

प्राचीन इतिहास का सच्चाई

प्राचीन इतिहास को कितने भागों में बांटा गया है


एक टिप्पणी भेजें

0टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें (0)

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!
10 Reply